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प्रसंशा पत्र क धऊस (भोजपुरी ) डॉ0 उमेशजी ओझा

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ई हमार भोजपुरी अउर हिंदी में प्रकाशित कहांनी ह। प्रशंसा पत्र के धउस               मोनी जब बिआह कs के आपन ससुराल अईली, त उनकर हालत कउवा झपट्टा वाला रहे । आपन तन- मन के खेयाल करत सोचे लगली कि का ...

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लेखक के बारे में

आपका प्रभाव ऐसा बने कि आपकी चंद मिनट की दूरी ही अभाव बन जाए । व्यस्त रहो, मस्त रहो । 🌷 चलते रहे कदम तो ।🌷 🌷 किनारा जरुर मिलेगा ।🌷 🌷 अन्धकार से लड़ते रहे ।🌷 🌷 सवेरा जरुर खिलेगा ।🌷 🌷 जब ठान लिया मंजिल पर जाना। 🌷 🌷 तो रास्ता जरुर मिलेगा ।🌷 🌷 ऐ राही ना थक, चलता चल।🌷 🌷 एक दिन समय जरुर फिरेगा…। 🌷 🙏 🚩 जय श्री राम 🚩🙏

समीक्षा
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  • author
    एआर झरोखा
    07 मई 2020
    ज्वलंत उदाहरण अपने घर के बुजुरूगो की सेवा न कर बृद्धा आश्रम में सेवा कर प्रांसशा पत्र प्राप्त कर उसका घमण्ड को परिलक्षित करती कच्छी कहानी।
  • author
    Sushma Prasad
    08 अक्टूबर 2021
    दुनो तरह के पतोह एके घर में आवेला लोग, घर घर के कहानी ह बहुत सुन्दर कहानी के वरनन भईल बा😊👌👍🌸🌿🍀🌺
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    एआर झरोखा
    07 मई 2020
    ज्वलंत उदाहरण अपने घर के बुजुरूगो की सेवा न कर बृद्धा आश्रम में सेवा कर प्रांसशा पत्र प्राप्त कर उसका घमण्ड को परिलक्षित करती कच्छी कहानी।
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    Sushma Prasad
    08 अक्टूबर 2021
    दुनो तरह के पतोह एके घर में आवेला लोग, घर घर के कहानी ह बहुत सुन्दर कहानी के वरनन भईल बा😊👌👍🌸🌿🍀🌺