एक कहावत है कि चंदन वह प्रसन्नता है जिसको आप किसी के माथे पर लगाएं तो आपकी उंगलियां खुद-ब-खुद महक उठेंगी। यह बात एकदम सही है, लेकिन इसके साथ ही साथ इसमें एक रहस्य छुपा हुआ है कि पहले हमें खुद ...
Practitioner in
#heartfulness
https://youtube.com/channel/UCJNh4MiW8oMVtU9I1WWzhNw
Date of birth- 3-6-1976
Education- MA in public administration from jiwaji university
Graduation in lib. Science from ignou
Diploma in elementary education from nios
Diploma in office automation from gict maharashtrs
Writing is a way to connect with soul , it's like a conversation between me and God
सारांश
Practitioner in
#heartfulness
https://youtube.com/channel/UCJNh4MiW8oMVtU9I1WWzhNw
Date of birth- 3-6-1976
Education- MA in public administration from jiwaji university
Graduation in lib. Science from ignou
Diploma in elementary education from nios
Diploma in office automation from gict maharashtrs
Writing is a way to connect with soul , it's like a conversation between me and God
क्हाँ से शुरू करूँ समझ नही आ रहा....
सुन्दर लिखा है आपने 👍👍
खुशी की शुरुआत खुद से ।
वास्तव में जब हम स्वयं को, ईश्वरं का अंश समझने लगते है, यह समझने लगते है कि, हमारा हाथ ईश्वर का ही है, तो खूशि अपने आप की भीतर से विकसित होने लगती है, क्योंकि ईश्वरं का हाथ तो बस देना जानता है, और जब हम ऐसा सोचने लगते है कि हम ईश्वर का ही अंश है तो हम भी देने से खुद को नही रोक पाएंगे ।
और रही बात खुद खुश रहने की तो हमे बस ईश्वरं पर पूर्ण समर्पण और विश्वास की जरुरत है, विश्वास की वह सदा हमारा परम् हित करेंगे । और समर्पण यह की वे जो भी करे मुझे सब सहृद स्वीकार है । असल में दुःख का कारण ही संघर्ष करना का, संघर्ष परिस्थितियों से, यदि हम जीवन को मात्र घटने दे, बिना संघर्ष के, तो दुःख होगा ही नही । क्योंकि जब परिस्थितियां हमारे मन मुताबिक नही होती तो हम दुखी हो जाते है । संघर्ष न करने का अर्थ यह नही की कोशिश न करना, अपितु जबरदस्ति न करना , ईश्वर स्वयं मार्ग दिखाते है, और जब काम न बैने तो ईश्वर की इच्छा समझ स्वीकार करना ।
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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क्हाँ से शुरू करूँ समझ नही आ रहा....
सुन्दर लिखा है आपने 👍👍
खुशी की शुरुआत खुद से ।
वास्तव में जब हम स्वयं को, ईश्वरं का अंश समझने लगते है, यह समझने लगते है कि, हमारा हाथ ईश्वर का ही है, तो खूशि अपने आप की भीतर से विकसित होने लगती है, क्योंकि ईश्वरं का हाथ तो बस देना जानता है, और जब हम ऐसा सोचने लगते है कि हम ईश्वर का ही अंश है तो हम भी देने से खुद को नही रोक पाएंगे ।
और रही बात खुद खुश रहने की तो हमे बस ईश्वरं पर पूर्ण समर्पण और विश्वास की जरुरत है, विश्वास की वह सदा हमारा परम् हित करेंगे । और समर्पण यह की वे जो भी करे मुझे सब सहृद स्वीकार है । असल में दुःख का कारण ही संघर्ष करना का, संघर्ष परिस्थितियों से, यदि हम जीवन को मात्र घटने दे, बिना संघर्ष के, तो दुःख होगा ही नही । क्योंकि जब परिस्थितियां हमारे मन मुताबिक नही होती तो हम दुखी हो जाते है । संघर्ष न करने का अर्थ यह नही की कोशिश न करना, अपितु जबरदस्ति न करना , ईश्वर स्वयं मार्ग दिखाते है, और जब काम न बैने तो ईश्वर की इच्छा समझ स्वीकार करना ।
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