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प्रकृति का संदेश

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जीवनप्रकृति

यही तो वक़्त है संभलने का, कदम मिला कर प्रकृति संग चलने का । शांत बैठो, धैर्य रखो, बिगड़े को सुधरने दो, वक़्त दो, साथ दो, प्रकृति को फिर से सँवरने दो ।

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लेखक के बारे में
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तरुण आनन्द

मै एक खास सोच का आम इंसान हूँ । समाज की बिडंबनाओ व अवधारनाओं से मन दुखी होता है तो भावनाओं को कागज पर उतार देता हूँ । कला मुझे आकर्षित करती है जो हर इंसान मे स्वाभाविक है । प्रकृति और उसके सर्जन से मुझे बेहद लगाव है । साहित्य सृजन की विधा :- कविता , लघुकथा, नाटक, लेख, हास्य व्यंग, सटायर, संस्मरण , जीवनी, आत्मकथा आदि । शिक्षा:- M.Sc. (Bot.), B.Ed., MLIS, CIC. संप्रति :- शोधकर्ता (वनस्पति शास्त्र) मगध विश्वविद्यालय, वर्तमान बिहार सरकार अंतर्गत विज्ञान शिक्षक के रूप मे कार्यरत । Mob/WA:- 9709090199, Fb:- tarunanand32, Twitter:- tarunanand33, Instagram:- tarunmagadh, Linkedin:- tarunanand32, About.me:- tarunanand

समीक्षा
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  • author
    Ranjeet Kumar
    31 मई 2020
    Nice work
  • author
    RAJESH KUMAR
    11 मई 2020
    प्रकृति महान
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    Ranjeet Kumar
    31 मई 2020
    Nice work
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    RAJESH KUMAR
    11 मई 2020
    प्रकृति महान