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प्रकृति का दोहन

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यह जिंदगी का सफ़र सुख-दुख की धूप छांव है, कहीं रोशनी की किरण है, कहीं छायाअंधेरा  घना है। समय चक्र हमेशा बदलता रहा है, सृष्टि क्रम को कोई बदल ना पाया, प्रकृति ने हमें मर्यादा में रहना सिखाया, सुख का ...

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लेखक के बारे में
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Bina Jain

सेवा निवृत प्रधानाचार्य हूं‌। साहित्यिक अभिरुचि के कारण सन् २००‌० से विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। 'अहिंसा आज भी प्रासंगिक है' २५६ प्रष्ठ की एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है।

समीक्षा
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    Dr.Aradhana Neekhara
    08 दिसम्बर 2021
    बेहतरीन रचना
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    08 दिसम्बर 2021
    very nice.
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    Dr.Aradhana Neekhara
    08 दिसम्बर 2021
    बेहतरीन रचना
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    08 दिसम्बर 2021
    very nice.