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पोथी

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पोथी गहीं ना हाथ में, गढ़ा न कोई शब्द किंतु फिर भी हो गए, कितने कीर्तिलब्ध कितने किर्तिलब्ध, झूठ का ओढ़ा चोला जोड़-तोड़ से हो रहे, कितने मस्तममौला ज्यादा दिन चले नहीं, यह योजना थोती कलम चलाओ बाद में, ...

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लेखक के बारे में
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yogendra nath yogi

योगेन्द्रनाथ योगी

समीक्षा
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    बीरा नेगी "बीरा"
    12 अप्रैल 2022
    वाह बहुत सुंदर
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    बीरा नेगी "बीरा"
    12 अप्रैल 2022
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