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पूत सपूत तो क्यों धन संचय, पूत कपूत तो क्यों धन संचय !

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लोकोक्ति पर आधारित लघुकथा : पूत सपूत तो क्यों धन संचय, पूत कपूत तो क्यों धन संचय ! नितिन बाबू शाम के समय दरवाजे पर बैठे चाय पी रहे थे तो देखा उनके बड़े भैया विपिन बाबू और भाभी रिक्शा से चले आ रहे हैं ...

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लेखक के बारे में
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पूनम वर्मा
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Neelima Kumar
    16 जून 2022
    कहावत को चरितार्थ करती, विभिन्न भावों में पिरोई सशक्त प्रस्तुति। साधुवाद ।🙏
  • author
    Rajni Katare
    16 जून 2022
    बहुत बढ़िया प्रेरक कहानी लिखी पूनम 💐👍
  • author
    sanjay kumar
    16 जून 2022
    सत्य और अनुकरणीय कहानी।
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  • author
    Neelima Kumar
    16 जून 2022
    कहावत को चरितार्थ करती, विभिन्न भावों में पिरोई सशक्त प्रस्तुति। साधुवाद ।🙏
  • author
    Rajni Katare
    16 जून 2022
    बहुत बढ़िया प्रेरक कहानी लिखी पूनम 💐👍
  • author
    sanjay kumar
    16 जून 2022
    सत्य और अनुकरणीय कहानी।