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पूत कपूत तो क्यों धन संचय

3.6
41

"अरे! सुना है साहू जी की हालत बहुत खराब है, दोनों बेटे सेवा कर रहे हैं| अरे! उनके पास तो इतना पैसा भी नहीं है, जीते जी एक मकान तो बना ही देते"| तबीयत का पता लेने आए पड़ोसी वर्मा जी बोले| "कोई बात ...

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लेखक के बारे में
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वर्षा शर्मा

मैं वर्षा शर्मा हूं | डायरी के पन्नों को बस शब्दों में उतारा है |लिखना अच्छा लगता है कोई अगर आपके लिखे से प्रभावित हो तो और आगे बढ़ने का मन करता है

समीक्षा
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  • author
    Neel Kamal
    19 जुलै 2022
    अति सुन्दर कहानी
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    Neel Kamal
    19 जुलै 2022
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