( पूर्ण विराम...) जिस तरह एक रक्कासा शाम होते ही अपनी ग्राहक और खरीदार का इंतजार करती है ,ठीक उसी तरह वह हर शाम अपनी दुर्गति की प्रतीक्षा करती । कुछ आदर्श वाक्यों ने उसके दिमाग और उसकी ...
जन्म स्थान. प्रयागराज उत्तर प्रदेश 🌎
Women health and hygiene councillor
अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं साहित्यिक मंच पर रचनाओं का प्रकाशन.📒 नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से फेसबुक पर भी मुझे फॉलो करें
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सारांश
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प्रिया विद्या आपकी इस कहानी को मैं ,मेरी आजतक की पढ़ी हुई आपकी सभी रचनाओं में प्रथम स्थान पर रखती हूं👌👌👌 कितनी परिपक्व लेखनी है आपकी ,यह रचना उस पर मुहर लगाती है। ऐसा मन करता है कि बस पढ़ते ही रहे ।भाषा शैली गजब है 👌👌👌साहित्यिक भाषा इसकी विशेषता है और विषय का तो कहना ही क्या👍👍👍 मेरे मन को छू गया है❤️❤️❤️नायिका का यह कहना कि "कब तक" यही सब कुछ है🙏🙏🙏🙏नायिका मुझे मेरे दिल के बहुत करीब महसूस हुई है। मेरे पास सच में शब्द नहीं है आपकी इस रचना की समीक्षा के लिए। पढ़ते-पढ़ते पाठक के मन में कितने सारे विचार आते जाते हैं ।नारी मन की गहन कंदरा में झांककर बहुत ही सुंदर समाधान की तरफ बाहर ले गई हैं आप नायिका को।
एक मनोवैज्ञानिक चित्रण प्रस्तुत किया है।
किस किस बात की प्रशंसा करूं समझ नहीं आ रहा।
बस यही कहूंगी की सरस्वती मां की विशेष कृपा है आप पर।
अद्भुत रचना कहूंगी मैं इस कहानी को👌👌👌 सारी आकाशगंगा आपकी इस कहानी के नाम⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
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is behatareen kahani ki kya samiksha karu.... itane behatareen tareeke se upmao our rupako ka samanjasya..... ek manjhe huye lekhak ki pahachan hai... kaanch k bartan tootate our kone me dubak jate....bahut hi umda line jaha par meraan atak gaya...bas yahi kahungi ki sahityik soundarya se saji ek behad khoobsurat rachana..... Ishwar se prarthna hai ki aap nit nayi uchaiyo ko chhuye....🙂🙂🙂🙂
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इन शब्दों में तारीफ करूं समझ नहीं आ रहा आज बचपन में किताब कापियों के बीच में रखी हुई वह विद्या याद आ रही है ,जो रेशम सी ,चमकदार रंगों वाली लगता था जिसके छूने से संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हो जाएगा आज तुम्हे पढ़ कर ऐसा ही लग रहा है।
क्या गजब भाषा शैली है, कितनी परिपक्व लेखनी है, सच ! पढ़्कर असीम Anand ki Anubhuti ho rahi hai.
ab samajh aaya aapko roj trophy kyon milati Hain 👍👍👋👋👋🙏🙏🌹🌹❤️
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प्रिया विद्या आपकी इस कहानी को मैं ,मेरी आजतक की पढ़ी हुई आपकी सभी रचनाओं में प्रथम स्थान पर रखती हूं👌👌👌 कितनी परिपक्व लेखनी है आपकी ,यह रचना उस पर मुहर लगाती है। ऐसा मन करता है कि बस पढ़ते ही रहे ।भाषा शैली गजब है 👌👌👌साहित्यिक भाषा इसकी विशेषता है और विषय का तो कहना ही क्या👍👍👍 मेरे मन को छू गया है❤️❤️❤️नायिका का यह कहना कि "कब तक" यही सब कुछ है🙏🙏🙏🙏नायिका मुझे मेरे दिल के बहुत करीब महसूस हुई है। मेरे पास सच में शब्द नहीं है आपकी इस रचना की समीक्षा के लिए। पढ़ते-पढ़ते पाठक के मन में कितने सारे विचार आते जाते हैं ।नारी मन की गहन कंदरा में झांककर बहुत ही सुंदर समाधान की तरफ बाहर ले गई हैं आप नायिका को।
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किस किस बात की प्रशंसा करूं समझ नहीं आ रहा।
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