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पूछते हो दर्द का क्यूँ सिलसिला हूँ

4.4
1944

पूछते हो दर्द का क्यूँ सिलसिला हूँ सुर्ख़ियों में आ गया मैं क्यूँ भला हूँ।1 जानने की चाह रखते हो सुखनवर कौन माटी का भला मैं भी गढ़ा हूँ।2 माँगने की तो कभी आदत नहीं थी पुंज बनकर रौशनी का बस जला हूँ।3 ...

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लेखक के बारे में
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मनन सिंह
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरुणा जांगड़ा
    28 जुलाई 2019
    wah!bahut khub.....👏👏👏
  • author
    नीतू सिंह
    11 अक्टूबर 2018
    Bhut sundar rachna hai
  • author
    Deepika Bhardwaj
    02 अक्टूबर 2018
    बहुत सुंदर पंक्तियां हैं।
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    अरुणा जांगड़ा
    28 जुलाई 2019
    wah!bahut khub.....👏👏👏
  • author
    नीतू सिंह
    11 अक्टूबर 2018
    Bhut sundar rachna hai
  • author
    Deepika Bhardwaj
    02 अक्टूबर 2018
    बहुत सुंदर पंक्तियां हैं।