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POEM - माँ मुझे....

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02:05PM 31.08.2014 SUNDAY Long poem -  माँ मुझे.... हे माँ मैंने देखे हैं तेरी आँखों से झरते आँसू जो पिता के लड़खड़ाते क़दमों के दहलीज के भीतर आते ही भर आए थे तेरे नेत्रों में. और जिन्हें तूने ...

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लेखक के बारे में

शब्दों और लफ़्ज़ों की दुनियां में सुकून ढूंढ़ता एक परिंदा.. कृपया मेरी सभी रचनाओं को पढ़कर समीक्षा दें और त्रुटि भी बताएं जिससे मैं अपनी लेखनी में सुधार ला सकूँ. तेरी मोहब्बत किराए के मकान जैसी "उड़ता" ,तमाम उम्र सहेजी मगर अपनी ना हो सकी... शीशे ने टूट कर अपनी कशिश बता दी "उड़ता ", मगर हम तो रहे पत्थर से जो टूटने के भी काबिल नहीं... सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता ",झज्जर (हरियाणा )

समीक्षा
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  • author
    गर्भस्थ बेटी की पीड़ा का मार्मिक चित्रण
  • author
    Seema Saini
    06 मई 2020
    बहुत उम्दा लिखा आपने
  • author
    Ambika Jha
    06 मई 2020
    बहुत खूब
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    गर्भस्थ बेटी की पीड़ा का मार्मिक चित्रण
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    Seema Saini
    06 मई 2020
    बहुत उम्दा लिखा आपने
  • author
    Ambika Jha
    06 मई 2020
    बहुत खूब