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प्लीज कुछ तो बोलो न..!

3.6
69

तुम्हारा खामोश रहना किस कदर परेशान करता है मुझे मेरी खामोशी सब बता देगी तुम्हें मानता हूं आंखों से अब तक कहा है बहुत कुछ तुमने ये बंद होंठ भी अब खोलो न प्लीज कुछ तो बोलो ...

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लेखक के बारे में
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Sandeep Dwivedi

मैं संदीप द्विवेदी उ.प्र.कानपुर से हूं। विज्ञापन-व्यवसाय से जुड़ा हूं। लिखना..मुझे अच्छा लगता है..और अच्छा लिखा हुआ..पढ़ना भी..! मुझे लगता है..हम तब तक वह सब करने को स्वतंत्र हैं..जब तक हमारी वजह से कोई तीसरा..किसी दिक्कत में न आये..। किसी को मजबूर करके कुछ हासिल करना..पौरुषहीनता है..। प्रेम बड़ी शक्ति है..जिससे..सब मिल सकता है..! उम्मीद भी..और संबल भी..! रिश्ते. देर से बनें..ठीक है.. पर दूर तक बने होने चाहिए..। कड़ी मेहनत और ईमानदारी आत्मबल हैं और जीवन में सफल होने की गारंटी भी..। कई बार ऐसा ऐसा लगता है कि..जीवन की आपाधापी में कहीं हम पीछे तो नही हो रहे.. तब हमारा धैर्य हमें दिलासा देता है..। हमें बताता है.."ऐसा नही है..।" अपनी ताकत को पहचानिए..। उसे सम्मान दीजिए..। आपको इज्ज़त मिलेगी..। भले ही आप कुछ भी हों..! कहीं भी हों..! कोई भी हों...!

समीक्षा
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  • author
    Toshmani 😊😊
    05 मई 2021
    वाह ,,,बहुत खूब लिखे ..👏💐👌
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    Toshmani 😊😊
    05 मई 2021
    वाह ,,,बहुत खूब लिखे ..👏💐👌