pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

पितृसत्ता और देह से परे अस्मिता के सवाल (भीष्म साहनी के नाटक ‘माधवी’ के संदर्भ में)

4.5
1691

‘‘मैं प्रगतिशील लेखक संघ के अपने लेखक बंधुओं के साथ मध्य प्रदेश के एक सम्मेलन से लौट रहा था। रेल का डिब्बा खचाखच भरा था जब त्रिलोचन शास्त्री मेरी बगल में बैठे थे, ‘माधवी’ की कथा सुनाने लगे। कहानी ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

शिक्षा-दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में पीएच.डी । जन्म-28 अप्रैल 1971   प्रकाशित किताबें    ‘नुक्कड़ नाटक: रचना और प्रस्तुति’ राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रकाशित। वाणी प्रकाशन से  नुक्कड़ नाटक-संग्रह ‘जनता के बीच जनता की बात’ । एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा ‘तारा की अलवर यात्रा’ । सामाजिक सरोकारों  को उजागर करती पुस्तक ‘आईने के सामने’ स्वराज प्रकाशन से प्रकाशित।   कहानी-लेखन   कथादेश, वागर्थ, परिकथा, पाखी, जनसत्ता,  वर्तमान साहित्य ,बनासजन, पक्षधर, जनसत्ता साहित्य वार्षिकी, सम्प्रेषण,हिंदी चेतना, अनुक्षण आदि पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित।    पुरस्कार - सूचना और प्रकाशन विभाग, भारत सरकार की ओर से पुस्तक ‘तारा की अलवर यात्रा ’ को वर्ष 2008 का भारतेंदु हरिशचंद्र पुरस्कार।   जनसंचार माध्यमों में भागीदारी जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, नयी दुनिया जैसे राष्ट्रीय दैनिक समाचार-पत्रों और विभिन्न पत्रिकाओं में नियमित लेखन। संचार माध्यमों से बरसों पुराने जुड़ाव के तहत आकाशवाणी और दूरदर्शन के अनेक कार्यक्रमों  के लिए लेखन और भागीदारी।   सम्प्रति: दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में  कार्यरत।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shyam Sundar Kumar
    30 जुलाई 2018
    एक सीधी सी बात है... जिसकी लाठी उसकी भैंस स्त्री ही क्यों... आप नज़र घुमायें सारी दुनिया में जब से दुनिया का निर्माण हुवा और अभी तक चल क्या रहा है चाहे स्त्री हो , पुरुष हो , जानवर हो , जमीन जायदाद हो या फिर कोई प्राकृतिक संसाधन हो , बस एक ही सत्य है.. दम है तो लो... नहीं तो... संतोष करो.
  • author
    22 मई 2017
    एक बार मे ही पूरा आलेख पढा़, महाभारत में द्रोपदी रामायण में सीता, पांडवो की मॉ कुंती, सारे महिलाचरित्रो का चित्रण पितृसत्तात्मक नजरिये से गढा गया है, गर्भवती सिया की मन:स्थति वन में छुड़वाने का आदेश...
  • author
    Jyotsna Rai
    11 अगस्त 2018
    बेहतरीन अद्भुत रचना 👌👌💐
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shyam Sundar Kumar
    30 जुलाई 2018
    एक सीधी सी बात है... जिसकी लाठी उसकी भैंस स्त्री ही क्यों... आप नज़र घुमायें सारी दुनिया में जब से दुनिया का निर्माण हुवा और अभी तक चल क्या रहा है चाहे स्त्री हो , पुरुष हो , जानवर हो , जमीन जायदाद हो या फिर कोई प्राकृतिक संसाधन हो , बस एक ही सत्य है.. दम है तो लो... नहीं तो... संतोष करो.
  • author
    22 मई 2017
    एक बार मे ही पूरा आलेख पढा़, महाभारत में द्रोपदी रामायण में सीता, पांडवो की मॉ कुंती, सारे महिलाचरित्रो का चित्रण पितृसत्तात्मक नजरिये से गढा गया है, गर्भवती सिया की मन:स्थति वन में छुड़वाने का आदेश...
  • author
    Jyotsna Rai
    11 अगस्त 2018
    बेहतरीन अद्भुत रचना 👌👌💐