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पीथल और पाथल – कन्हैयालाल सेठिया

देशभग्तिप्रेणादय
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पीथल और पाथल – कन्हैयालाल सेठिया अरे घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो। नान्हो सो अमरयो चीख पड्यो राणा रो सोयो दुख जाग्यो। हूं लड्यो घणो हूं सह्यो घणो मेवाड़ी मान बचावण नै, हूं पाछ नहीं राखी रण ...