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पिता-पुत्र दो संदर्भ

4.8
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संदर्भ -1 रामजीलाल दफ़्तर में क्लर्क थे,मामूली तनख्वाह में घर चलाना भी मुश्किल होता था।विवाह के आठ वर्ष बाद बड़ी मान-मनौवत के बेटा हुआ था। आज फिर उनके घर मे घुसते ही तीन वर्षीय पुनीत ने उनका हाथ ...

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लेखक के बारे में
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Kalyani Gupta
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajendra Singh Dang
    22 जुलाई 2021
    बहुत सुंदर पिता अपने बच्चों की खुशियों के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने के लिए तनिक भी संकोच नही करता है। वह बच्चों की खुशियों में अपनी खुशी को महसूस करता है ।बहुत सुंदर ह्रदय को छू लेने वाली प्रेरक कहानी ।
  • author
    Abhijeet Anand "काविश"
    21 जुलाई 2021
    बेहतरीन लिखा..... बिल्कुल वो चरित्र से आँखों से रूबरू हो रहे.... बस छ ल कने ही वाले थे..... वाकई कमाल.... 👍👍
  • author
    Sanjay Kaushal
    22 जुलाई 2021
    बहुत सही लिखा आपने 👌👌
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  • author
    Rajendra Singh Dang
    22 जुलाई 2021
    बहुत सुंदर पिता अपने बच्चों की खुशियों के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने के लिए तनिक भी संकोच नही करता है। वह बच्चों की खुशियों में अपनी खुशी को महसूस करता है ।बहुत सुंदर ह्रदय को छू लेने वाली प्रेरक कहानी ।
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    Abhijeet Anand "काविश"
    21 जुलाई 2021
    बेहतरीन लिखा..... बिल्कुल वो चरित्र से आँखों से रूबरू हो रहे.... बस छ ल कने ही वाले थे..... वाकई कमाल.... 👍👍
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    Sanjay Kaushal
    22 जुलाई 2021
    बहुत सही लिखा आपने 👌👌