संदर्भ -1 रामजीलाल दफ़्तर में क्लर्क थे,मामूली तनख्वाह में घर चलाना भी मुश्किल होता था।विवाह के आठ वर्ष बाद बड़ी मान-मनौवत के बेटा हुआ था। आज फिर उनके घर मे घुसते ही तीन वर्षीय पुनीत ने उनका हाथ ...
बहुत सुंदर पिता अपने बच्चों की खुशियों के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने के लिए तनिक भी संकोच नही करता है।
वह बच्चों की खुशियों में अपनी खुशी को महसूस करता है ।बहुत सुंदर ह्रदय को छू लेने वाली प्रेरक कहानी ।
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