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पिता की छत्रछाया

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मिट्टी थी, आपने मूर्त्त आकार दिया, कठोर अनुशासन की धरातल पर चला कर हम सबका जीवन साकार किया। आपकी बांहें वो मजबूत शाखें थीं, जिनपर हम-सब बेफिक्र उड़े.... ऐसा खुला आसमान दिया। दुःख का एक कतरा भी छू ...

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लेखक के बारे में
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कल्याणी दास

.मेरी कविताएं मुझे जीवंत करती हैं।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    वाह वाह वाह वाह शानदार और जानदार प्रस्तुति
  • author
    sushma gupta
    22 জুন 2020
    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति 👌🏻👌🏻किसी एक दिन में कहां समा पाता है माता पिता का प्यार, बिल्कुल सही बात कही आपने💐💐पिता कठोर धरातल पर चलाकर मजबूत बना देते हैं.. सच में यदि माँ के पास आंचल की कोमल छांव है तो पिता हमारे जीवन की एक मजबूत छत है जो हमें परेशानियों की कड़ी धूप से बचाती है.., पिता के प्रमुख अपने भावों को बहुत प्यार और सुंदरता से व्यक्त किया हुआ आपने💐💐💐💐 मर्मस्पर्शी रचना 👌🏻👌🏻🌹🌹🌹🌹🌹😊😊🙏
  • author
    neelima dutta
    22 জুন 2020
    पिता के प्रति आदर सम्मान को बहुत अच्छे से इस कविता के माध्यम से आपने पिरोया है दिल से लिखी है दिल को छू गयी।इसी तरह आगे भी लिखते जाइए। धन्यवाद 👌👌👌💟💟🌹🌹🌹🌹🌹🌹
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    वाह वाह वाह वाह शानदार और जानदार प्रस्तुति
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    sushma gupta
    22 জুন 2020
    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति 👌🏻👌🏻किसी एक दिन में कहां समा पाता है माता पिता का प्यार, बिल्कुल सही बात कही आपने💐💐पिता कठोर धरातल पर चलाकर मजबूत बना देते हैं.. सच में यदि माँ के पास आंचल की कोमल छांव है तो पिता हमारे जीवन की एक मजबूत छत है जो हमें परेशानियों की कड़ी धूप से बचाती है.., पिता के प्रमुख अपने भावों को बहुत प्यार और सुंदरता से व्यक्त किया हुआ आपने💐💐💐💐 मर्मस्पर्शी रचना 👌🏻👌🏻🌹🌹🌹🌹🌹😊😊🙏
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    neelima dutta
    22 জুন 2020
    पिता के प्रति आदर सम्मान को बहुत अच्छे से इस कविता के माध्यम से आपने पिरोया है दिल से लिखी है दिल को छू गयी।इसी तरह आगे भी लिखते जाइए। धन्यवाद 👌👌👌💟💟🌹🌹🌹🌹🌹🌹