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पिंजरे में सपने

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4.3

आज उसके उल्लास का कोई ठिकाना नहीं था।बड़की ठकुराईन ने कल ही पूरे महीने की पगार दे दी।देते समय पाँच सौ का एक नोट भी जबर्दस्ती रख दिया" कमलिया की माय हमसे पर्दा रख कर क्या करोगी।तुम्हारी कौन सी मजबूरी ...