pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

पिंजरा

5
31

पंछी का संदेसा एक औरत के लिए..... ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
बलजीत कौर

💜💜

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    विभा यादव
    08 जून 2020
    एक स्त्री के जीवन की पूरी कहानी आपने लिख दी ,बहुत ही खूबसूरत आपने लिखा है ।पिंजरा चाहे सोने का ही क्यों ना हो आजादी सबको पसंद है।👌🏼👌👌👌
  • author
    Upendra Bhatt "Bhattji"
    08 जून 2020
    बहुत खूब,ओ पिंजरे का पंछी तेरा दर्द न जाने कोई,धायल की गत जाने केवल बेबस औरतेंकोई,धन्यवाद 🌹🙏🌺
  • author
    ....
    08 जून 2020
    उमर कैद की तरह होते हैं कुछ रिश्ते जहा जमानत देकर भी रिहाई मुमकिन नहीं !!
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    विभा यादव
    08 जून 2020
    एक स्त्री के जीवन की पूरी कहानी आपने लिख दी ,बहुत ही खूबसूरत आपने लिखा है ।पिंजरा चाहे सोने का ही क्यों ना हो आजादी सबको पसंद है।👌🏼👌👌👌
  • author
    Upendra Bhatt "Bhattji"
    08 जून 2020
    बहुत खूब,ओ पिंजरे का पंछी तेरा दर्द न जाने कोई,धायल की गत जाने केवल बेबस औरतेंकोई,धन्यवाद 🌹🙏🌺
  • author
    ....
    08 जून 2020
    उमर कैद की तरह होते हैं कुछ रिश्ते जहा जमानत देकर भी रिहाई मुमकिन नहीं !!