पिंजर ( फ़िल्म समीक्षा ) अमृता प्रीतम की सशक्त लेखनी से प्रवाहित भारत विभाजन के समय की स्थिति का सजीव चित्रण प्रस्तुत करता उपन्यास 'पिंजर' अब तक विभिन्न भाषाओं में अनुवादित हो जन सामान्य के बीच ...
पूरी फ़िल्म की समीक्षा आपने जीवंत रूप में उकेरा है ।।बेहतरीन ढंग से नारी के ऊपर होते रहे अत्याचारों को लेखिका अमृता प्रीतम जी ने प्रस्तुत किया कहानी के अंत का डाइलॉग , वो हर इंसान की रूह हिला देने वाली थी !👌👌लिखते रहिये ऐसी कहानियां आज के दौर के युवाओं के लिए भी सबक सिखाने में मददगार होती हैं ।
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