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हिन्दी

पिंडर का भैरव

4.3
13248

मेरी पोस्टिंग कर्नप्रयाग हुए तीन महीने हो गये थे। मुझे याद है पहले पहले मुझे यहां कितना सूना सूना महसूस हुआ था। छोटा पहाड़ी कस्बा, लोकल भाषा भी अलग।  लोग हांलाकि हिंदी समझते थे पर बोलते कम ही थे। ...

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लेखक के बारे में
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पंकज' चौहान

लिखना पसंद है मुझे, पढना भी। बाकी कुछ खास नहीं। सवाल, सलाह या संवाद [email protected] पर कर सकते हैं। पंकज।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anil Kashyap "(सागडी)"
    01 सितम्बर 2019
    एक बात समझ नही आई कि भानुमती राजकुमारी होते हुए भी घास लेने क्यों गयी 🤔🤔 बाकी कहानी अच्छी है 👌👌👌
  • author
    Shashi Soni
    10 अगस्त 2018
    kahani achi h ,aduri h ya puri pata nahi lekin ye jarur pata ki ji bherv the vo vo lokdevta the koi avtar ya sidha purush nahi ,ini ki tarh hamare rajsthan me bhi bhaut se lok devtao ki kathaye prachalit h is liye mene inhe lok devta kaha
  • author
    अटल पैन्यूली
    12 अक्टूबर 2019
    भाई साहब कहानी तो बढिया है , पुरा उत्तराखण्ड ही भैरवमयी है । कहीं किसी रुप में आवकार हुआ है भैरव ऐसा नही है , भगवान शिव के अवतार है भैरव ,वो केवल स्थान के अनुरुप अलग -अलग नाम हुये है ,बाकि वास्तविक रुप एक ही है ।
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    Anil Kashyap "(सागडी)"
    01 सितम्बर 2019
    एक बात समझ नही आई कि भानुमती राजकुमारी होते हुए भी घास लेने क्यों गयी 🤔🤔 बाकी कहानी अच्छी है 👌👌👌
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    Shashi Soni
    10 अगस्त 2018
    kahani achi h ,aduri h ya puri pata nahi lekin ye jarur pata ki ji bherv the vo vo lokdevta the koi avtar ya sidha purush nahi ,ini ki tarh hamare rajsthan me bhi bhaut se lok devtao ki kathaye prachalit h is liye mene inhe lok devta kaha
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    अटल पैन्यूली
    12 अक्टूबर 2019
    भाई साहब कहानी तो बढिया है , पुरा उत्तराखण्ड ही भैरवमयी है । कहीं किसी रुप में आवकार हुआ है भैरव ऐसा नही है , भगवान शिव के अवतार है भैरव ,वो केवल स्थान के अनुरुप अलग -अलग नाम हुये है ,बाकि वास्तविक रुप एक ही है ।