मेरी पोस्टिंग कर्नप्रयाग हुए तीन महीने हो गये थे। मुझे याद है पहले पहले मुझे यहां कितना सूना सूना महसूस हुआ था। छोटा पहाड़ी कस्बा, लोकल भाषा भी अलग। लोग हांलाकि हिंदी समझते थे पर बोलते कम ही थे। ...
kahani achi h ,aduri h ya puri pata nahi lekin ye jarur pata ki ji bherv the vo vo lokdevta the koi avtar ya sidha purush nahi ,ini ki tarh hamare rajsthan me bhi bhaut se lok devtao ki kathaye prachalit h is liye mene inhe lok devta kaha
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भाई साहब कहानी तो बढिया है , पुरा उत्तराखण्ड ही भैरवमयी है । कहीं किसी रुप में आवकार हुआ है भैरव ऐसा नही है , भगवान शिव के अवतार है भैरव ,वो केवल स्थान के अनुरुप अलग -अलग नाम हुये है ,बाकि वास्तविक रुप एक ही है ।
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