शीशे सा भरा नस नस में उठकर न अब चला जाये। कोई सहारा देकर उठाये खुद से अब न उठा जाये अक्सर सोचा मैंने मय पिये पीना अब छोड़ दिया जाये। जब पीते थे यारों में जीते थे अब तन्हा किधर जिया जाये। आते आते ही ...
विज्ञान पारास्नातक ,भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी (सेवा निवृत), मूल रूप से झाँसी निवासी , कोचिन में निवासरत। पूर्व सहायक आयुक्त सीमाशुल्क । लिखने पढ़ने का शौक है कुछ पुस्तकें प्रकाशित। उल्लेखनीय पुस्तके, संवाद (कविता संग्रह), लुटेरों का टीला,चंबल( लघु उपन्यास), अष्ट योगी(लघु उपन्यास),
सारांश
विज्ञान पारास्नातक ,भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी (सेवा निवृत), मूल रूप से झाँसी निवासी , कोचिन में निवासरत। पूर्व सहायक आयुक्त सीमाशुल्क । लिखने पढ़ने का शौक है कुछ पुस्तकें प्रकाशित। उल्लेखनीय पुस्तके, संवाद (कविता संग्रह), लुटेरों का टीला,चंबल( लघु उपन्यास), अष्ट योगी(लघु उपन्यास),
रिपोर्ट की समस्या
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