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पीहर

4.4
768

बाटिक प्रिंट की साड़ी में लिपटी लड़की आज सोती रही देर तक और घर में कोई चिल्ल पो नहीं खूब लगाए ठहाके उसने भाई के चुटकुलों पर और नहीं तनी भौहें उसकी हँसी के आयाम पर नहीं लगाया "जी" किसी संबोधन के बाद ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    अपर्णा झा
    07 जनवरी 2019
    bahut dino Baad aapki Kavita ne khud se mulakat karwaya....... bahut khoob
  • author
    Ravindra Narayan Pahalwan
    11 अक्टूबर 2018
    मुलाकात अपने आप से / वाह / क्या सोच है / इस रचना को 10 में से 10 अंक /
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का कोई ध्यान रखती एक अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता है ।
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  • author
    अपर्णा झा
    07 जनवरी 2019
    bahut dino Baad aapki Kavita ne khud se mulakat karwaya....... bahut khoob
  • author
    Ravindra Narayan Pahalwan
    11 अक्टूबर 2018
    मुलाकात अपने आप से / वाह / क्या सोच है / इस रचना को 10 में से 10 अंक /
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का कोई ध्यान रखती एक अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता है ।