बर्दाश्त की इंतहा हुई, शीश कब तक झुका रहे साथ में खड़े रहो सब पहरेदार सा डंटा रहे शीतल मेघ मान हम ने झुका लिए थे सिर कभी आग जो गिरने लगे अब हो गयी इन्तहां अभी उनके नैन में शील नहीं खंजर ...
प्रतीक प्रभाकर ने साहित्य के क्षेत्र में अपना पदार्पण बालकवि के रूप में किया था। हृदय से साहित्यानुरागीऔर कर्म से एम. बी.बी.एस डॉक्टर
नित नई रचनायें लिख रहे हैं। अब तक इनकी सौ से अधिक रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और साझा संकलन के अलावा यूट्यूब चैनल्स में हो चुका है। ये कई साहित्यिक एप्स और समूहों में सक्रिय हैं। भविष्य में भी इनकी रचनाओं का स्वागत है।
सारांश
प्रतीक प्रभाकर ने साहित्य के क्षेत्र में अपना पदार्पण बालकवि के रूप में किया था। हृदय से साहित्यानुरागीऔर कर्म से एम. बी.बी.एस डॉक्टर
नित नई रचनायें लिख रहे हैं। अब तक इनकी सौ से अधिक रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और साझा संकलन के अलावा यूट्यूब चैनल्स में हो चुका है। ये कई साहित्यिक एप्स और समूहों में सक्रिय हैं। भविष्य में भी इनकी रचनाओं का स्वागत है।
रिपोर्ट की समस्या
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