pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

पीठ में खंजर

4.9
106

बर्दाश्त की इंतहा   हुई, शीश कब तक झुका रहे साथ में खड़े रहो सब पहरेदार   सा डंटा  रहे शीतल मेघ मान हम ने झुका लिए थे सिर कभी आग जो गिरने लगे अब हो गयी  इन्तहां   अभी उनके नैन में शील नहीं खंजर ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

प्रतीक प्रभाकर ने साहित्य के क्षेत्र में अपना पदार्पण बालकवि के रूप में किया था। हृदय से साहित्यानुरागीऔर कर्म से एम. बी.बी.एस डॉक्टर नित नई रचनायें लिख रहे हैं। अब तक इनकी सौ से अधिक रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और साझा संकलन के अलावा यूट्यूब चैनल्स में हो चुका है। ये कई साहित्यिक एप्स और समूहों में सक्रिय हैं। भविष्य में भी इनकी रचनाओं का स्वागत है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajeshwari Devi
    07 नवम्बर 2020
    बहुत अच्छा लिखा कम शब्दों में ही बहुत कुछ कह दिया बहुत खूबसूरत लिखा है
  • author
    Vimal sid
    07 मई 2019
    बात बहुत सही कहा आपने जो काबिले तारीफ़ है
  • author
    08 मई 2019
    बहुत बढ़िया...👌👌👌
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajeshwari Devi
    07 नवम्बर 2020
    बहुत अच्छा लिखा कम शब्दों में ही बहुत कुछ कह दिया बहुत खूबसूरत लिखा है
  • author
    Vimal sid
    07 मई 2019
    बात बहुत सही कहा आपने जो काबिले तारीफ़ है
  • author
    08 मई 2019
    बहुत बढ़िया...👌👌👌