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पीर-ए-कामिल

9332
4.7

पहाड़ी ढलान पर वो आराम से पॉव पसारे बैठा था | चिनार के पेड़ों से छन छन कर आती गुनगुनी धूप उसके जिस्म को हरारत बख्श रही थी और ज़ीना की अल्हड जवानी उसमे फूक मार रही थी |ज़ीना को निहारते हुए वो सिगरेट ...