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"पीली छतरी वाली लड़की

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शहर वही था, लोग भी वैसे ही, लेकिन अब उस पीली छतरी के नीचे छुपी स्त्री ने अपना रास्ता बदल लिया था। अब वो रोज़ सुबह सारनाथ के बगीचे में चलने जाती, पीले फूलों के बीच में बैठकर एक डायरी खोलती – “मेरी ...

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लेखक के बारे में
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Dr. K. S

हम अकेले निकले थे अपनी मंजिल पर लोग मिलते गये और कारवां बनता गया..... Be better than you were yesterday...

समीक्षा
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  • author
    Madhu Sethi
    09 अप्रैल 2025
    खूबसूरत भाव व्यक्त करती बढिय़ा शानदार प्रस्तुति आपकी
  • author
    V!$#@|_ जी...❣️😊
    09 अप्रैल 2025
    बेहतरीन रचना लिखी है आपने
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    Madhu Sethi
    09 अप्रैल 2025
    खूबसूरत भाव व्यक्त करती बढिय़ा शानदार प्रस्तुति आपकी
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    V!$#@|_ जी...❣️😊
    09 अप्रैल 2025
    बेहतरीन रचना लिखी है आपने