जब मैं छोटी थी यही कोई 8-9साल की तब मेरी माँ ने मेरे लिए बड़ी शौक से छमछम वाली पायल मतलब जिसमे बहुत सी घुंघरू होती हैं लिया था, और बड़े ही शौक से मुझे पहनाया भी था, और उस दिन हम अपनी मासी के घर जाने वाले थे उनके शहर क्योंकि वहाँ कुंभ का मेला लगा था, हम सब तैयार होकर अपनी मासी के घर पहुँच गए और वहाँ से खाना खाकर थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद उनके घर से पैदल निकल पड़े जहाँ मेला लगा हुआ था, बच्चे थे तब तो उत्साह भी बहुत हुआ करता था, और पैदल चले जा रहे थे, नये पायल की छमछम की आवाज बड़ी प्यारी लगती थी ...