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पत्नी का खत

4.9
52

पत्नी का मिला पत्र, लिखा था यत्र सर्वत्र वर्तनी इधर उधर थी पर भाव की धनी थी लिखा था, प्रिय चरण दास तुम वहां कैसे हो कुछ तो बताओ अब जल्दी लौट आओ। मेरी साड़ी का आंचल मैला हो गया है गये हो जब से ...

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लेखक के बारे में
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Rakesh Chandola

"जिन्दगी की कशमकश मे अंधेरों निकलकर पता चला, उजाले ही रास्ता रोके खड़े थे"।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Alka Mathur
    26 ফেব্রুয়ারি 2022
    🙏🙏 आपने तो उन्हें ही धो डाला बेहतरीन
  • author
    Pankaj V
    26 ফেব্রুয়ারি 2022
    ☺️☺️☺️ बहुत बढ़िया
  • author
    Pratibha Gupta
    08 এপ্রিল 2022
    शब्दों पर मत जाइए.वह तो भावों को पहुँचाने के माध्यम भर ही हैं, आप उनके भाव समझ गए ना. चलिए हम सब भी हॅंस लिए 😂😂😂
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    Alka Mathur
    26 ফেব্রুয়ারি 2022
    🙏🙏 आपने तो उन्हें ही धो डाला बेहतरीन
  • author
    Pankaj V
    26 ফেব্রুয়ারি 2022
    ☺️☺️☺️ बहुत बढ़िया
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    Pratibha Gupta
    08 এপ্রিল 2022
    शब्दों पर मत जाइए.वह तो भावों को पहुँचाने के माध्यम भर ही हैं, आप उनके भाव समझ गए ना. चलिए हम सब भी हॅंस लिए 😂😂😂