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पसंदीदा मर्द

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4.8

कुछ ख़ास तो हूँ नहीं मैं... पर है कोई जो मुझपे मरता है... अपनी पसंदीदा औरत बताकर अपने यारों से मिलवाता है.... जान जान कहकर जो मेरा नाम अपनी साँसो में पिरोता है... हर जिद मान मेरी... दुनिया से लड़ ...