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"परवरदिगार का वजूद"

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"परवरदिगार का वज़ूद"  न ज़मी पर, न आसमान में, क्या वज़ूद है मेरा, ढूंढू कहाँ में इस जहान में, उस खुदा को, आदाब अर्ज है मेरा, सियासत सल्तनत है उसकी, कौन है वो..? कहाँ से आया!! क्या रुप रंग ...

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लेखक के बारे में
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Rajni Katare

अन्तर्मन से उपजे उदगारों को, कागज और कलम लेकर लिखने लग जाती हूँ -* रजनी कटारे -: शिक्षा -एम. ए. ,बी. एड. (हिन्दी साहित्य) जबलपुर (जन्म-भोपाल) जन्मतिथि :- 9/7/56 * सृजन - : स्वतन्त्र लेखन - सामाजिक, पारिवारिक, कविता, कहानी और लेख - * प्रकाशन - : नव भारत में काफी पहले मेरे लेख प्रकाशित, एक लम्बे अंतराल के बाद ' प्रतिलिपि मंच ' पर साहित्यक गतिविधियों से जुड़ाव - * शिक्षण -: काफी समय पहले अध्यापन का कार्य करा (नवयुग उ. मा. विद्यालय जबलपुर) - * सम्मान -: "महाकोशल महिला उद्यमी संगठन "(मावे) में उपसचिव के पद पर रह चुकी, 'मावे' द्वारा मुझे 'अचीवमेन्ट अवार्ड ' से सम्मानित किया गया - * उत्कृष्ट -समाज सेवा के लिए मुझे ' प्रियदर्शनी अलंकरण ' सम्मान मिला - -------*----- श्रीमती रजनी कटारे जबलपुर (म. प्र.)

समीक्षा
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  • author
    Balram Soni
    21 മെയ്‌ 2023
    बहुत ही बढ़िया बेहतरीन रचना लिखी गई है आपके द्वारा👌🌷💐💐💐🙏🌹 जय श्री राधे कृष्णा 🌹🙏💐💐
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    Balram Soni
    21 മെയ്‌ 2023
    बहुत ही बढ़िया बेहतरीन रचना लिखी गई है आपके द्वारा👌🌷💐💐💐🙏🌹 जय श्री राधे कृष्णा 🌹🙏💐💐