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परित्यक्ता

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.परित्यकता                 ससुराल में चारपायी पर सोई हुई मिथिला खुसफुसाहट भरे स्वरों से जाग गई।देखा,पति भी नहीं थे,जाने कब आए होंगे और उठ कर चले भी गए। किंतु ये हलचल कैसी है, कोई कुछ बताता क्यों नही ...

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लेखक के बारे में
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Vinita Sharma

स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत शौक ---कहानी और कविता लिखना ।मैं बागी रहती हूं हमेशा उन महफिलों की.. जहां शोहरत तलवे चाटने से मिलती हो.. मुझे दी गई है ऐसी ही नसीयत जहां कदर न हों ,, तो चल दो चाहे वहा जन्नत ही क्यों न मिलती हों ,,,,,,,,,,

समीक्षा
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  • author
    Shashi Kala Sharma
    06 अक्टूबर 2023
    सामयिक कहानी 👌👌
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    Shashi Kala Sharma
    06 अक्टूबर 2023
    सामयिक कहानी 👌👌