pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

परिणय पाती

5
56

तुम्हारी छत्रछाया में.  मैं हरदम महफूज रहती हूं            क्योंकि तुम सीप बने मैं मोती   ।                                 निस्वार्थ प्रेम तुमसे किया  ,                                           ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
लक्ष्मी जोशी

💐मन के सागर में .अनमोल मोतियों की तरंगे .जब आकार लेने लगती है ******🎉 तब लेखनी से मोहब्बत होने लगती है 💐🙏

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Poonam Arora
    25 जुलाई 2022
    बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ बेहतरीन बेमिसाल अभिव्यक्ति शानदार सृजन 👍👍👍👍👍👍👍👍
  • author
    anshu saxena
    17 सितम्बर 2022
    बहुत सुंदर भाव, खूबसूरत रचना लक्ष्मी जी😊
  • author
    DEEPCHAND BOHRA
    25 अप्रैल 2023
    good
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Poonam Arora
    25 जुलाई 2022
    बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ बेहतरीन बेमिसाल अभिव्यक्ति शानदार सृजन 👍👍👍👍👍👍👍👍
  • author
    anshu saxena
    17 सितम्बर 2022
    बहुत सुंदर भाव, खूबसूरत रचना लक्ष्मी जी😊
  • author
    DEEPCHAND BOHRA
    25 अप्रैल 2023
    good