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परिजात के फूल

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लेकर चली आती है, के तुमको अच्छे लगेंगे और हथेली खोलकर , दिखला देती है, पारिजात के फूल।। राज ठाकुर🤣🤣🤣🤣🌺🌹 ...

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लेखक के बारे में
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Raj Thakur

हाजमा बहुत दुरस्त है हमारा, अपनो के कई राज छुपा रखे हैं, अब पूछना न कुछ हमसे, अपनी फितरत बता चुके है।। 🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣 राज ठाकुर वर्तमान में शिक्षक , समाज सेवक अध्यात्म इतिहास और संस्कृति से जुड़ा होने के साथ अपनी नई पीढ़ी को जीवन जीने की कला देने में कृत संकल्प के साथ कविता कहानी एवं अन्य विधाएं को लिखने का प्रयास बचपन से ही किया है। हमेशा ही "राज ठाकुर 'तख्खलुस से लिखते रहे। हम राज ठाकुर के उपनाम से फेसबुक और इंस्टाग्रां पर भी मौजद् है। धर्मेंद्र सिंह चौहान फरीदपुर- बरेली

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    सुशीला तिवारी
    28 नवम्बर 2022
    बहुत सुन्दर अल्फाज बेहतरीन
  • author
    pradipti dubey "Deep"
    27 नवम्बर 2022
    अरे वाह क्याबात है 👌🏻👌🏻👌🏻
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    सुशीला तिवारी
    28 नवम्बर 2022
    बहुत सुन्दर अल्फाज बेहतरीन
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    pradipti dubey "Deep"
    27 नवम्बर 2022
    अरे वाह क्याबात है 👌🏻👌🏻👌🏻