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पारिजात- एक अभागी लड़की

4.5
20175

उसे एक जगह बैठे रहना बिलकुल भी प्रसन्द नही था. उसमे एक अपार शक्ति समायी हुयी थी. अत्यधिक आकर्षक व्यक्तित्व वाली वो पारिजात थी. जिसकी भी उस पर नजर पड़ती वो उसे एक टक देखता ही रह जाता. इतना ही नही, ...

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लेखक के बारे में
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थिंकर्स

ॐ नमः शिवाय ❸①❷①❾⑤ थिंकर्स Oof रसोइया (𝔻𝕖𝕝𝕚𝕔𝕚𝕠𝕦𝕤 𝔽𝕠𝕠𝕕)

समीक्षा
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  • author
    Piyush Jangir
    27 ऑगस्ट 2017
    बहुत बढिया। शानदार। पर कहीं न कहीं यह नही लगता कि लेखक और लेखक ही क्यों हम सब इस कहानी में अपनी किसी मित्र को खोज रहे है, जो शायद मित्र से कुछ अधिक थी। कहीं वो एहसास की वो चेहरा जिसे हम जिंदगी भर ढूंढते रहेंगे वो हमें कभी मिला था और मिलेगा? ये अहसासों की बात है साहब, वरना खूबसूरती कब्र पे चढ़ने वाले फूलो की भी कम नही होती। एक बात अंत के बारे में की पारीजाद को ये ना सुझा की अंश बचपन से उसके निकट रहा फिर भी उसे कुछ नही हुआ। वो साथ बड़े हुए साथ खेले, घूमे, खाये। फिर भी कभी अंश पर खरोच नही आई शायद उस अभागी की को यह समझ नही आया कि वो अंश ही कहीं उसका सौभाग्य तो नही था? सोचना जरा इस बारे में दोस्तो
  • author
    Manisha Bisht
    06 ऑक्टोबर 2016
    दिल को छू गयी ,,,
  • author
    29 ऑक्टोबर 2018
    एक अद्भुत प्रेम कथा...आपकी लेखनशैली बहुत ही खूबसूरत हैं। पूरी प्रेम कहानी कवितामय हैँ। कहानी एक किरदार का चरित्र चित्रण हैं मगर रहस्य शुरू से अन्त तक बना हुआ हैं। कहानी का अंत पूरी कहानी को एक सार प्रदान करता हैं। कहानी में उत्पन्न सारे प्रश्नों का उत्तर देता हैं। आपसे एक छोटा सा निवेदन हैं कि कहानी की कहानी को किसी अच्छे प्रूफ रीडर से संपादित करवा लें। इतनी खूबसूरत कहानी में व्याकरण की गलतियां बेहद अखरती हैं साथ ही कुछ शब्दों के बेहतर पर्याय प्रयोग हो सकते हैं। एक बार फिर से इतनी अच्छी कहानी के लिए आपको बधाई। 👍👍
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    Piyush Jangir
    27 ऑगस्ट 2017
    बहुत बढिया। शानदार। पर कहीं न कहीं यह नही लगता कि लेखक और लेखक ही क्यों हम सब इस कहानी में अपनी किसी मित्र को खोज रहे है, जो शायद मित्र से कुछ अधिक थी। कहीं वो एहसास की वो चेहरा जिसे हम जिंदगी भर ढूंढते रहेंगे वो हमें कभी मिला था और मिलेगा? ये अहसासों की बात है साहब, वरना खूबसूरती कब्र पे चढ़ने वाले फूलो की भी कम नही होती। एक बात अंत के बारे में की पारीजाद को ये ना सुझा की अंश बचपन से उसके निकट रहा फिर भी उसे कुछ नही हुआ। वो साथ बड़े हुए साथ खेले, घूमे, खाये। फिर भी कभी अंश पर खरोच नही आई शायद उस अभागी की को यह समझ नही आया कि वो अंश ही कहीं उसका सौभाग्य तो नही था? सोचना जरा इस बारे में दोस्तो
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    Manisha Bisht
    06 ऑक्टोबर 2016
    दिल को छू गयी ,,,
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    29 ऑक्टोबर 2018
    एक अद्भुत प्रेम कथा...आपकी लेखनशैली बहुत ही खूबसूरत हैं। पूरी प्रेम कहानी कवितामय हैँ। कहानी एक किरदार का चरित्र चित्रण हैं मगर रहस्य शुरू से अन्त तक बना हुआ हैं। कहानी का अंत पूरी कहानी को एक सार प्रदान करता हैं। कहानी में उत्पन्न सारे प्रश्नों का उत्तर देता हैं। आपसे एक छोटा सा निवेदन हैं कि कहानी की कहानी को किसी अच्छे प्रूफ रीडर से संपादित करवा लें। इतनी खूबसूरत कहानी में व्याकरण की गलतियां बेहद अखरती हैं साथ ही कुछ शब्दों के बेहतर पर्याय प्रयोग हो सकते हैं। एक बार फिर से इतनी अच्छी कहानी के लिए आपको बधाई। 👍👍