pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

परछाई

4.3
455

जैसे -जैसे दिन, ढलता है मेरी परछाई भी, मुझसे रुठने लगती है! मैं उसके जितना पास आती हूँ, वो उतनी ही दूर होती चली जाती है! और शाम होते ही, ,, वो कहीं छुप जाती है! मुझे मेरी परछाई को, वापस पाने के ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
अनु सरोज

पहचान बनाना अभी बाकि है

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jiwan Sameer
    13 మార్చి 2021
    सुंदर सृजन
  • author
    Sanjay Teli "Poembysanjayt"
    12 నవంబరు 2019
    wow
  • author
    Manjit Singh
    06 మే 2022
    जीवन का मर्म दर्शाती सुंदर कविता
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jiwan Sameer
    13 మార్చి 2021
    सुंदर सृजन
  • author
    Sanjay Teli "Poembysanjayt"
    12 నవంబరు 2019
    wow
  • author
    Manjit Singh
    06 మే 2022
    जीवन का मर्म दर्शाती सुंदर कविता