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परछाई

4.5
298

अस्तित्व परछाई का केवल प्रकाश में छाया में नहीं नहीं अंधेरे में अंधेरे में अंधेरे संग मिलन हो जाता परछाई का आंखों से हो जाती ओझल परछाई साथ साथ चलने का लेकिन अद्भुत गुण परछाई में काली स्याह होती है ...

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लेखक के बारे में
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धार्विक नमन

धार्विक नमन

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    01 मार्च 2022
    बहुत ही सुन्दर एवम यथार्थ अभिव्यक्ति ।
  • author
    Manjit Singh
    02 जून 2020
    manthan. yogy
  • author
    Sumedha Prakash
    10 अक्टूबर 2018
    बेहतरीन रचना
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  • author
    अरविन्द सिन्हा
    01 मार्च 2022
    बहुत ही सुन्दर एवम यथार्थ अभिव्यक्ति ।
  • author
    Manjit Singh
    02 जून 2020
    manthan. yogy
  • author
    Sumedha Prakash
    10 अक्टूबर 2018
    बेहतरीन रचना