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पराया घर (लघु कथा)

4.6
32767

हर औरत की कहानी....

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लेखक के बारे में
author
मुकेश जोशी

शब्द जब दिल को छूने लगें तो वो शब्द नहीं रहते, एहसास बन जाते हैं। Fb page- MukeshJoshiOfficial

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Seema Anand
    26 सितम्बर 2018
    मेरे पास मेरा अपना घर है। ना मैं पिता के घर में रहती हूँ, ना ससुर के और ना ही पति के, उलटे पति मेरे घर में रहते हैं। और मैं बहुत खुश हूँ।
  • author
    Prerna
    03 दिसम्बर 2018
    इस कहानी मैं वो बात कही गए है जो जानते तो सब है पर कहता कोई नहीं । मुझे लेखक का मत बहुत अच्छा लगा
  • author
    11 मई 2017
    बहुत ही बढिया,मुकेश जोशी जी आप वाकई ऐक बहुत अच्छे writer है बहुत अच्छी कहानियां लिखते है। मुझे हमेशा आपकी कहानियों का इंतजार रहता है.ऐसे ही अच्छा काम करते रहिये शुभकामनाएँ ।
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    Seema Anand
    26 सितम्बर 2018
    मेरे पास मेरा अपना घर है। ना मैं पिता के घर में रहती हूँ, ना ससुर के और ना ही पति के, उलटे पति मेरे घर में रहते हैं। और मैं बहुत खुश हूँ।
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    Prerna
    03 दिसम्बर 2018
    इस कहानी मैं वो बात कही गए है जो जानते तो सब है पर कहता कोई नहीं । मुझे लेखक का मत बहुत अच्छा लगा
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    11 मई 2017
    बहुत ही बढिया,मुकेश जोशी जी आप वाकई ऐक बहुत अच्छे writer है बहुत अच्छी कहानियां लिखते है। मुझे हमेशा आपकी कहानियों का इंतजार रहता है.ऐसे ही अच्छा काम करते रहिये शुभकामनाएँ ।