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…. पर पाजेप न भीगे

4.4
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एक क़िस्सा है। और क़िस्सा क्या… ? हक़ीक़त है जी…! कल की हक़ीक़त आज क़िस्सा है। आज की हक़ीक़त कल क़िस्सा होगी। तो क़िस्सा उन दिनों का है, जब अब जैसे देश नहीं हुआ करते थे। तब देश का मतलब-एक क्षेत्र हुआ करता था। ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pranu Shukla
    25 मई 2017
    ask bhi sheopur m. p. me h banjaara dem
  • author
    anupama purohit
    26 फ़रवरी 2020
    बेहतरीन रचना
  • author
    Alok Singh
    21 अक्टूबर 2017
    ,
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    Pranu Shukla
    25 मई 2017
    ask bhi sheopur m. p. me h banjaara dem
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    anupama purohit
    26 फ़रवरी 2020
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    Alok Singh
    21 अक्टूबर 2017
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