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‘‘सुनो, तुम मीनू को जानते हो?...वही जो तुम्हारे भैया के पास पढ़ती थी।’’ ‘‘ न... नहीं तो।’’ ‘‘अरे काफी समय से पढ़ रही थी उनसे और तुम्हें तो अच्छी तरह जानती है। शायद देखा हो तुमने कभी। पतली-दुबली सी ...
शिक्षा-दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में पीएच.डी । जन्म-28 अप्रैल 1971 प्रकाशित किताबें ‘नुक्कड़ नाटक: रचना और प्रस्तुति’ राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रकाशित। वाणी प्रकाशन से नुक्कड़ नाटक-संग्रह ‘जनता के बीच जनता की बात’ । एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा ‘तारा की अलवर यात्रा’ । सामाजिक सरोकारों को उजागर करती पुस्तक ‘आईने के सामने’ स्वराज प्रकाशन से प्रकाशित। कहानी-लेखन कथादेश, वागर्थ, परिकथा, पाखी, जनसत्ता, वर्तमान साहित्य ,बनासजन, पक्षधर, जनसत्ता साहित्य वार्षिकी, सम्प्रेषण,हिंदी चेतना, अनुक्षण आदि पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित। पुरस्कार - सूचना और प्रकाशन विभाग, भारत सरकार की ओर से पुस्तक ‘तारा की अलवर यात्रा ’ को वर्ष 2008 का भारतेंदु हरिशचंद्र पुरस्कार। जनसंचार माध्यमों में भागीदारी जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, नयी दुनिया जैसे राष्ट्रीय दैनिक समाचार-पत्रों और विभिन्न पत्रिकाओं में नियमित लेखन। संचार माध्यमों से बरसों पुराने जुड़ाव के तहत आकाशवाणी और दूरदर्शन के अनेक कार्यक्रमों के लिए लेखन और भागीदारी। सम्प्रति: दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत।
शिक्षा-दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में पीएच.डी । जन्म-28 अप्रैल 1971 प्रकाशित किताबें ‘नुक्कड़ नाटक: रचना और प्रस्तुति’ राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रकाशित। वाणी प्रकाशन से नुक्कड़ नाटक-संग्रह ‘जनता के बीच जनता की बात’ । एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा ‘तारा की अलवर यात्रा’ । सामाजिक सरोकारों को उजागर करती पुस्तक ‘आईने के सामने’ स्वराज प्रकाशन से प्रकाशित। कहानी-लेखन कथादेश, वागर्थ, परिकथा, पाखी, जनसत्ता, वर्तमान साहित्य ,बनासजन, पक्षधर, जनसत्ता साहित्य वार्षिकी, सम्प्रेषण,हिंदी चेतना, अनुक्षण आदि पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित। पुरस्कार - सूचना और प्रकाशन विभाग, भारत सरकार की ओर से पुस्तक ‘तारा की अलवर यात्रा ’ को वर्ष 2008 का भारतेंदु हरिशचंद्र पुरस्कार। जनसंचार माध्यमों में भागीदारी जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, नयी दुनिया जैसे राष्ट्रीय दैनिक समाचार-पत्रों और विभिन्न पत्रिकाओं में नियमित लेखन। संचार माध्यमों से बरसों पुराने जुड़ाव के तहत आकाशवाणी और दूरदर्शन के अनेक कार्यक्रमों के लिए लेखन और भागीदारी। सम्प्रति: दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत।
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