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पनघट पर जन्मी प्रेम कहानी...

4.9
200

बिटिया बिलकुल ही गुमसुम रहने लगी... तुम उसकी अम्मा हो पूछती काहे नही हो... अरे हम क्या जानी... हमको तो यही बुझात अब इसके हाथ पीला करने का टेम आ गया है... तुम मोहनी के लिए लड़का ढूढ़ो बस... हाँ चाहत ...

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लेखक के बारे में

मैं पेशे से एडवोकेट हूँ पर पढ़ना और लिखना मेरा शौक है......प्रतिलिपि एक ऐसा माध्यम है जिसकी वजह से मैं अपने मन कि भावनाओं को रचनाओं के द्वारा लोगो तक पंहुचा सकती हूँ..... मेरी सभी रचनाएँ स्वरचित और मौलिक है और सर्वाधिकार सुरक्षित है ll तथा कॉपी राइट एक्ट के अंतर्गत प्रस्तावित है l अन्यथा की स्थिति मे हाई कोर्ट लखनऊ बेंच में कार्यवाही की जाएगी..l सुषमा सिंह (एडवोकेट )

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    श्वेता विजय mishra
    03 मार्च 2021
    वाह वाह बहुत सुंदर भावनाओं को लेकर शानदार लाजवाब कहानी लिखी आपने अंतिम भाग बहुत ही मनमोहक लाजवाब लिखा
  • author
    Poonam Kaparwan pikku
    03 मार्च 2021
    प्रेम का अंत सुखद हुआ इन्तजार की घड़ियां विरहन निगोरी पर मिलने सुखद अहसास लिए ।शानदार
  • author
    निशा शर्मा
    03 मार्च 2021
    बहुत सुंदर... लाजवाब प्रेमकथा लिखी है आपनें👍👍👍👌👌👌 शुभकामनाएं...💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
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    श्वेता विजय mishra
    03 मार्च 2021
    वाह वाह बहुत सुंदर भावनाओं को लेकर शानदार लाजवाब कहानी लिखी आपने अंतिम भाग बहुत ही मनमोहक लाजवाब लिखा
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    Poonam Kaparwan pikku
    03 मार्च 2021
    प्रेम का अंत सुखद हुआ इन्तजार की घड़ियां विरहन निगोरी पर मिलने सुखद अहसास लिए ।शानदार
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    निशा शर्मा
    03 मार्च 2021
    बहुत सुंदर... लाजवाब प्रेमकथा लिखी है आपनें👍👍👍👌👌👌 शुभकामनाएं...💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐