चुनांचे आए दिन पांडेय जी के जीवन में कुछ न कुछ घटता रहता हैं।कभी कुछ खट्टा तो कभी कुछ मीठा। पांडेय जी अपने इलाके के बड़े जाने-माने लेखक थे।खूब पैरोडी करते।लोग वाह-वाह भी करते।अपने हुनर का लोहा मनवाने ...
चुनांचे आए दिन पांडेय जी के जीवन में कुछ न कुछ घटता रहता हैं।कभी कुछ खट्टा तो कभी कुछ मीठा। पांडेय जी अपने इलाके के बड़े जाने-माने लेखक थे।खूब पैरोडी करते।लोग वाह-वाह भी करते।अपने हुनर का लोहा मनवाने ...