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पागल बुढ़िया

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ये हमारे समाज की वास्तविकता है। मैने आज सुबह जो कुछ देखा उसी से प्रेरित कविता प्रस्तुत कर रहा हूं।

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लेखक के बारे में

मैंने आईआईटी हैदराबाद से पीएचडी की पढ़ाई की है। लेखन मेरा शौक है। प्रतिलिपि ने मुझे अपने लेखन के शौंक को पूरा करने का बहुत अच्छा मंच प्रदान किया है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pooja Shekhawat
    08 मार्च 2022
    धरती पर बोझ हैं वो लोग जो मा बाप को बोझ समझते हैं।
  • author
    Nilam Rai
    08 मार्च 2022
    बेहतरीन रचना 👌👌बिल्कुल सही 🌹🌹
  • author
    Asha garg
    08 मार्च 2022
    बहुत ही मार्मिक
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pooja Shekhawat
    08 मार्च 2022
    धरती पर बोझ हैं वो लोग जो मा बाप को बोझ समझते हैं।
  • author
    Nilam Rai
    08 मार्च 2022
    बेहतरीन रचना 👌👌बिल्कुल सही 🌹🌹
  • author
    Asha garg
    08 मार्च 2022
    बहुत ही मार्मिक