"क्या इतनी देर से खिड़की पर लटके हुए हो , अंदर आओ और लंच कर लो" । ये आवाज़ थी हमारी गृह स्वामिनी अलका जी की। मगर उन्हें क्या पता था कि हम इतनी देर से भाभी जी के घर से बाहर आने का इंतजार कर रहे ...
Copyright disclaimer . इन कहानियों के सारे कॉपी राइट्स मेरे पास सुरक्षित है कृपया मेरी कहानियों को किसी भी प्लेटफार्म पर इस्तेमाल न करें वरना लीगल कार्यवाही की जाएगी ।
सारांश
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रिपोर्ट की समस्या
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