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पचास रुपये।

4.6
1161

सर्दियों का मौसम था शाम के लगभग ४ बजे होंगे। पहाड़ों पर इस वक़्त सूरज लगभग अस्त हो चुका होता है।  इतवार का दिन था जादातर लोगो घर पर ही थे। गांव के पंडित जी का छोटा बेटा ११-१५ साल का होगा ८ वी ...

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लेखक के बारे में
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आशीष मधवाल
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Monika Panthri
    22 मई 2020
    काश यही अपराध बोध दुनिया के हर चोर और नेता के मन में जिंदा रहता , उनके बड़े होने तक।। अच्छा लिखा है आपने।
  • author
    Monika Sharma
    15 मई 2020
    👍👍
  • author
    Hasi Grover
    03 अगस्त 2022
    खूबसूरत सीख को देती हुई बहुत ही मासूम सी कहानी दिल को छू गयी।
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    Monika Panthri
    22 मई 2020
    काश यही अपराध बोध दुनिया के हर चोर और नेता के मन में जिंदा रहता , उनके बड़े होने तक।। अच्छा लिखा है आपने।
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    Monika Sharma
    15 मई 2020
    👍👍
  • author
    Hasi Grover
    03 अगस्त 2022
    खूबसूरत सीख को देती हुई बहुत ही मासूम सी कहानी दिल को छू गयी।