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.. ओ री दुनिया

4.8
113

मैंने जो जिया ...

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लेखक के बारे में
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मृदुल कपिल

प्रकाशित पुस्तकें : चीनी कितने चम्मच ( कहानी संग्रह ) आँचलिक कहानी संग्रह "कानपुर की घातक कथाएँ 1 " एवं मोहब्बत 24 कैरेट प्रकाशित (कहानी संग्रह ) प्रकाशित . सोशल मिडिया ( फेसबुक , ब्लॉग आदि ) पर निरंतर  लेखन , कुछ समाचारपत्रों और पत्रिकाओ में समय समय पर लेख और कहानियो  का  प्रकाशन .

समीक्षा
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    हृदया चौहान
    26 सितम्बर 2022
    पता नहीं क्यों जो महसूस करते है उसे कभी शब्द नहीं दे पाते हम, लेकिन अपना एक अंश देख रही हू आप में आज घरवालों को लगता है हमारे अंदर लड़कियों वाले गुण नहीं शायद ज्यादा पढ़ लिख कर दिमाग खराब हो गया है परंतु हमें झूठ दिखावा और रिश्तों से नफरत है आपने सही कहा कोई किसी का नहीं होता रिश्तेदार छोड़ो अपने मां बाप तक नहीं लेकिन हमारा सच है हमारा अकेलापन दुनिया रिश्ते अपने पराए सब से अलग कर लिया है खुद को, चले जाना चाहती हूं कहीं दूर इस मक्कार और फरेबी दुनिया को छोर कर और घरवाले चाहते है हम शादी कर लें मुझे लगता था हम ही अलग है परंतु अच्छा लगा जान कर जो हम किसी को समझा नहीं पाते उसे आपने कहानी के रूप में ढाल दिया
  • author
    संध्या बक्शी
    23 सितम्बर 2022
    पढ़ कर यूँ लगा कि ,यह दुनिया महज़ मेरे लिये ही ऐसी नहीं है , ... सभी के लिए है। वही सब कुछ जो मैंने सहा है ,वो आपने भी भोगा है और समय आने पर शायद सभी को भोगना पड़ेगा । अक्षर अक्षर सत्य है कि , अपने ही करीबी हमारे ,गिड़गिड़ाने ,हमारे स्वाभिमान के टूट कर बिखर जाने का इंतज़ार करते हैं । और अगर कोई अपने होश सम्हाले रखने की चेष्टा करे ,तो वही जुमला ,कि "इन्हें देख कर लगता ही नहीं की कुछ हुआ भी है " .... उस पर खुसर फुसर में अनगिनत चर्चाएं , जैसे , दूधवाले की बेईमानी ,बच्चे और मोबाईल , मीठे से परहेज , वैशालीनगर में सेल ... इत्यादि इत्यादि ! ऐसे विषयों पर विस्तृत पठनीय लेखन सम्भव है ! किंतु ये तथाकथित शुभचिंतक , समय और स्तिथि भी नहीं देखते । ... क्या कहें कपिल जी , स्वयं ही सम्भलना पड़ता है । खुद से ही जतन करने पड़ते हैं । समय बहुत लगता है ,किंतु समय से बड़ा औऱ कोई उपचार नहीं और विकल्प भी नहीं । इस दुख की घड़ी में ईश्वर आपकी रक्षा करें , आपके दुख हर लें 🙏 मैं प्रार्थना करूँगी ।
  • author
    Ankur Deepak Madaan
    24 सितम्बर 2022
    housla rkhe sir, parmatma ki mrji ke aage kisi ka jor Nhi. baki kuch to log khege logo ka kam hai kehna. jiski ungli kat ti hai us ka dard whi janta hai.
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    हृदया चौहान
    26 सितम्बर 2022
    पता नहीं क्यों जो महसूस करते है उसे कभी शब्द नहीं दे पाते हम, लेकिन अपना एक अंश देख रही हू आप में आज घरवालों को लगता है हमारे अंदर लड़कियों वाले गुण नहीं शायद ज्यादा पढ़ लिख कर दिमाग खराब हो गया है परंतु हमें झूठ दिखावा और रिश्तों से नफरत है आपने सही कहा कोई किसी का नहीं होता रिश्तेदार छोड़ो अपने मां बाप तक नहीं लेकिन हमारा सच है हमारा अकेलापन दुनिया रिश्ते अपने पराए सब से अलग कर लिया है खुद को, चले जाना चाहती हूं कहीं दूर इस मक्कार और फरेबी दुनिया को छोर कर और घरवाले चाहते है हम शादी कर लें मुझे लगता था हम ही अलग है परंतु अच्छा लगा जान कर जो हम किसी को समझा नहीं पाते उसे आपने कहानी के रूप में ढाल दिया
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    संध्या बक्शी
    23 सितम्बर 2022
    पढ़ कर यूँ लगा कि ,यह दुनिया महज़ मेरे लिये ही ऐसी नहीं है , ... सभी के लिए है। वही सब कुछ जो मैंने सहा है ,वो आपने भी भोगा है और समय आने पर शायद सभी को भोगना पड़ेगा । अक्षर अक्षर सत्य है कि , अपने ही करीबी हमारे ,गिड़गिड़ाने ,हमारे स्वाभिमान के टूट कर बिखर जाने का इंतज़ार करते हैं । और अगर कोई अपने होश सम्हाले रखने की चेष्टा करे ,तो वही जुमला ,कि "इन्हें देख कर लगता ही नहीं की कुछ हुआ भी है " .... उस पर खुसर फुसर में अनगिनत चर्चाएं , जैसे , दूधवाले की बेईमानी ,बच्चे और मोबाईल , मीठे से परहेज , वैशालीनगर में सेल ... इत्यादि इत्यादि ! ऐसे विषयों पर विस्तृत पठनीय लेखन सम्भव है ! किंतु ये तथाकथित शुभचिंतक , समय और स्तिथि भी नहीं देखते । ... क्या कहें कपिल जी , स्वयं ही सम्भलना पड़ता है । खुद से ही जतन करने पड़ते हैं । समय बहुत लगता है ,किंतु समय से बड़ा औऱ कोई उपचार नहीं और विकल्प भी नहीं । इस दुख की घड़ी में ईश्वर आपकी रक्षा करें , आपके दुख हर लें 🙏 मैं प्रार्थना करूँगी ।
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    Ankur Deepak Madaan
    24 सितम्बर 2022
    housla rkhe sir, parmatma ki mrji ke aage kisi ka jor Nhi. baki kuch to log khege logo ka kam hai kehna. jiski ungli kat ti hai us ka dard whi janta hai.