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नन्हें मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है

4.9
120

हमारी मुट्ठी में हमारा बचपन नहीं है

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लेखक के बारे में

जीवन में सम्पूर्ण प्रस्फुटन की ओर

समीक्षा
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  • author
    Maneesh Purohit
    24 अगस्त 2019
    आज के हालात का सटीक वर्णन आपकी कविता में देखने को मिला।आज के युग मे जन्में बच्चों की मनोदशा का सजीव चित्रण कर दिया गया है।
  • author
    Puja Thakur
    23 अगस्त 2019
    झकझोर कर रख दिया आपकी रचना ने,सही कहा आपने आज बच्चों के मुट्ठी में उनका बचपन नही है।बहुत ही सुंदर रचना 👌👌👌👌
  • author
    Samta Parmeshwar
    27 अगस्त 2019
    उम्दा रचना। सचमुच आज कल नन्हे-मुन्ने बच्चों के हाथों से बचपन गायब हो गया है।
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    Maneesh Purohit
    24 अगस्त 2019
    आज के हालात का सटीक वर्णन आपकी कविता में देखने को मिला।आज के युग मे जन्में बच्चों की मनोदशा का सजीव चित्रण कर दिया गया है।
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    Puja Thakur
    23 अगस्त 2019
    झकझोर कर रख दिया आपकी रचना ने,सही कहा आपने आज बच्चों के मुट्ठी में उनका बचपन नही है।बहुत ही सुंदर रचना 👌👌👌👌
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    Samta Parmeshwar
    27 अगस्त 2019
    उम्दा रचना। सचमुच आज कल नन्हे-मुन्ने बच्चों के हाथों से बचपन गायब हो गया है।