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नम्बर 017

4.6
884

अलार्म की एक तीखी आवाज़ से उसकी नींद उचट गई। उनिंदी आंखों से उसने अपने बदन को हल्के सी जुंबिश दी और बिस्तर पर उठ कर बैठ गई। "उफ्फ ! आज अजीब सा क्यों लग रहा है मुझे ???" उसने अपनी कलाई को सामने ...

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लेखक के बारे में
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श्वेता सागर
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Chanchlesh Patel
    03 ऑक्टोबर 2020
    अति उत्तम, आपकी कल्पना शीलता को विराम देने की जगह इस कहानी को आगे बढ़ाओ
  • author
    05 फेब्रुवारी 2020
    बेहद ही शानदार साइंस फिक्शन लिखा हैं आपने। मुझे शुरू में लगा कि कहानी शायद मैट्रिक्स जैसी होगी लेकिन अंत तक आते आते पूरी कहानी ही बदल गई। एक नई अवधारणा को सोचना और फिर किरदारों को उसमें ढालना एक मुश्किल काम हैं जो आपने अपनी कहानी में बखूबी किया हैं। लिखते रहिये।
  • author
    Lakshmi Kumari
    08 फेब्रुवारी 2020
    Boht khub likha hai.. shveta ji aap har tarha ki kahaniyan likhne me expert ho... Imagination me boht achhi pakad hai aapki.. well done
  • author
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    Chanchlesh Patel
    03 ऑक्टोबर 2020
    अति उत्तम, आपकी कल्पना शीलता को विराम देने की जगह इस कहानी को आगे बढ़ाओ
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    05 फेब्रुवारी 2020
    बेहद ही शानदार साइंस फिक्शन लिखा हैं आपने। मुझे शुरू में लगा कि कहानी शायद मैट्रिक्स जैसी होगी लेकिन अंत तक आते आते पूरी कहानी ही बदल गई। एक नई अवधारणा को सोचना और फिर किरदारों को उसमें ढालना एक मुश्किल काम हैं जो आपने अपनी कहानी में बखूबी किया हैं। लिखते रहिये।
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    Lakshmi Kumari
    08 फेब्रुवारी 2020
    Boht khub likha hai.. shveta ji aap har tarha ki kahaniyan likhne me expert ho... Imagination me boht achhi pakad hai aapki.. well done