बचपन के दिन ताजा करा दिये सिमरन जी,न जाने कौन कौन से पत्र लिखने पड़ते थे,पर इतने दिलचस्प विषय पर लिखने का कभी मौका ही नही मिला।बहुत अच्छी कहानी है आपकी, बच्चों की मासूमियत का अद्भुत चित्रण किया है आपने।
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super simmi ji aap hasya katha bhi likh sakte hai ye muhko nai pata tha . kaal bharvi ke baad ye mane aap ki dosri rachna pari hai . i am totly impresed . because both title and topic are different . well ab me aap ki sare rachnaye jarur parunga or aap alag alag vishyo pr likhte rahe .god bless u
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