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हिन्दी

निर्वासन

4.4
7167

परशुराम- वहीं-वहीं, दालान में ठहरो! मर्यादा- क्यों, क्या मुझमें कुछ छूत लग गयी? परशुराम- पहले यह बताओ तुम इतने दिनों कहाँ रहीं, किसके साथ रहीं, किस तरह रहीं और फिर यहाँ किसके साथ आयीं? तब, तब ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Lajpat Rai Garg
    04 பிப்ரவரி 2021
    अति उत्तम। पुरुष मानसिकता को अनावरण करती है। अंत बहुत तीखा है।
  • author
    Kamlesh Patni
    19 ஜூன் 2021
    हमारे समाज में पुरातन काल से नारी का जो शोषण हुआ है उसका सजीव चित्रण कितनी कुशलतापूर्वक मुन्शी जी ने किया है।आज भी एक दो प्रतिशत ही पुरूष का स्त्री के प्रति दृष्टिकोण बदला है।स्त्री बराबर से डाक्टर इंजिनियर या प्रोफेसर के पद पर काम कर रही हो तब भी आत्महत्या तलाक कम नहीं हुए है।
  • author
    05 செப்டம்பர் 2019
    I want to translate this story into kannada language.can anybody guide me to have permission from whom...? or no need of anybody permission for translation...? please clarification invited...thank you
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    Lajpat Rai Garg
    04 பிப்ரவரி 2021
    अति उत्तम। पुरुष मानसिकता को अनावरण करती है। अंत बहुत तीखा है।
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    Kamlesh Patni
    19 ஜூன் 2021
    हमारे समाज में पुरातन काल से नारी का जो शोषण हुआ है उसका सजीव चित्रण कितनी कुशलतापूर्वक मुन्शी जी ने किया है।आज भी एक दो प्रतिशत ही पुरूष का स्त्री के प्रति दृष्टिकोण बदला है।स्त्री बराबर से डाक्टर इंजिनियर या प्रोफेसर के पद पर काम कर रही हो तब भी आत्महत्या तलाक कम नहीं हुए है।
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    05 செப்டம்பர் 2019
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