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हिन्दी

निन्नी ना आती

4.5
340

थी पेड़ के नीचे बैठी वो... यमुना तट को तकती तकती... ना सोये कभी.. ना रोये कभी... उन आँखों को... ये समझाती... हे नयन कमल... मेरे चक्षु ... अब कान्हा तुमको भूल गया... अब क्यों खोजे? सांवरे नयन ... क्या ...

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लेखक के बारे में

engineer by profession... writer from heart... ;)

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aruna Garg
    21 நவம்பர் 2019
    बहुत सुंदर कविता ।कुछ जगह उर्दू शब्द लिए हैं पर अब तो वैसे भी हिंदी मैं उर्दु और कुछ दूसरी भाषाएँ घुल मिल गई है। राधा जी कि विरह व्यथा को सुंदरता से दर्शाया है।अचछी कोशिश है।👌
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    15 அக்டோபர் 2015
    " नाराज़ , खता , महसूस "  जैसे शब्द राष्ट्र भाषा ज्ञान को दर्शा रहे है । नितांत सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।
  • author
    निक्की सिंह
    01 ஜூலை 2019
    आप जैसे लोगो की वजह से हि अभि तक राधाकृष्ण का प्यार शायद जिन्दा है ,अति सुंदर कविता।
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    Aruna Garg
    21 நவம்பர் 2019
    बहुत सुंदर कविता ।कुछ जगह उर्दू शब्द लिए हैं पर अब तो वैसे भी हिंदी मैं उर्दु और कुछ दूसरी भाषाएँ घुल मिल गई है। राधा जी कि विरह व्यथा को सुंदरता से दर्शाया है।अचछी कोशिश है।👌
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    Satyendra Kumar Upadhyay
    15 அக்டோபர் 2015
    " नाराज़ , खता , महसूस "  जैसे शब्द राष्ट्र भाषा ज्ञान को दर्शा रहे है । नितांत सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।
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    निक्की सिंह
    01 ஜூலை 2019
    आप जैसे लोगो की वजह से हि अभि तक राधाकृष्ण का प्यार शायद जिन्दा है ,अति सुंदर कविता।