पंडित मोटेराम शास्त्री ने अंदर जा कर अपने विशाल उदर पर हाथ फेरते हुए यह पद पंचम स्वर में गया, अजगर करे न चाकरी , पंछी करे न काम , दास मलूका कह गये , सबके दाता राम ! सोना ने प्रफुल्लित हो कर पूछा, ' कोई मीठी ताजी खबर है क्या ? ' शास्त्री जी ने पैंतरे बदल कर कहा, ' मार लिया आज। ऐसा ताक कर मारा कि चारों खाने चित्त। सारे घर का नेवता ! सारे घर का। वह बढ़-बढ़कर हाथ मारूँगा कि देखने वाले दंग रह जाएेंगे। उदर महाराज अभी से अधीर हो रहे हैं।' सोना - '' कहीं पहले की भाँति अब की भी धोखा न हो। पक्का-पोढ़ा कर ...
रिपोर्ट की समस्या
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