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पंडित मोटेराम शास्त्री ने अंदर जा कर अपने विशाल उदर पर हाथ फेरते हुए यह पद पंचम स्वर में गया, अजगर करे न चाकरी , पंछी करे न काम , दास मलूका कह गये , सबके दाता राम ! सोना ने प्रफुल्लित हो कर पूछा, ' ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    पवनेश मिश्रा
    10 अप्रैल 2020
    कथा सम्राट के कृतित्व को सादर नमन 🙏🌹🙏,
  • author
    Dheeraj Kumar
    14 मई 2017
    बहुत बढिया
  • author
    Vivek Kumar Rajput
    24 दिसम्बर 2018
    aise ponga pandoton ne to desh ko hi barbad Kiya hai, Jo sirf pet ke liye jite the. ab aise log bahut Kam milenge
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    पवनेश मिश्रा
    10 अप्रैल 2020
    कथा सम्राट के कृतित्व को सादर नमन 🙏🌹🙏,
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    Dheeraj Kumar
    14 मई 2017
    बहुत बढिया
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    Vivek Kumar Rajput
    24 दिसम्बर 2018
    aise ponga pandoton ne to desh ko hi barbad Kiya hai, Jo sirf pet ke liye jite the. ab aise log bahut Kam milenge