एक शब्द था निशब्द बन गया उनकी रोटी की चाह कब मौत और कब बोटी बन गया कुछ शब्द था रोटी, कपड़ा, मकान जैसा आज वो भी कुछ एक का निशब्द बन गया एक रोटी की चाह ने उनके शरीर का बोटी बना गया यही ...
इंसानियत की राहों पर चलना और इंसानियत हासिल करने का एक मात्र रास्त अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना और एक सही इंसान बनना
https://www.facebook.com/devid.kurre.77
सारांश
इंसानियत की राहों पर चलना और इंसानियत हासिल करने का एक मात्र रास्त अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना और एक सही इंसान बनना
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बधाई हो! निःशब्द
एक शब्द था
निशब्द बन गया
उनकी रोटी की चाह
कब मौत और कब बोटी बन गया
कुछ शब्द था
रोटी, कपड़ा, मकान जैसा
आज वो भी
कुछ एक का
निशब्द बन गया प्रकाशित हो चुकी है।. अपने दोस्तों को इस खुशी में शामिल करे और उनकी राय जाने।
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