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निःशब्द एक शब्द था निशब्द बन गया उनकी रोटी की चाह कब मौत और कब बोटी बन गया कुछ शब्द था रोटी, कपड़ा, मकान जैसा आज वो भी कुछ एक का निशब्द बन गया

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एक शब्द था निशब्द बन गया उनकी रोटी की चाह कब मौत और कब बोटी बन गया कुछ शब्द था रोटी, कपड़ा, मकान जैसा आज वो भी कुछ एक का निशब्द बन गया एक रोटी की चाह ने उनके शरीर का बोटी बना गया यही ...

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लेखक के बारे में
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Devid Kurre

इंसानियत की राहों पर चलना और इंसानियत हासिल करने का एक मात्र रास्त अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना और एक सही इंसान बनना https://www.facebook.com/devid.kurre.77

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 मई 2022
    बहुत पीड़ादायक और दर्द से भरी रचना 🙏🙏🙏
  • author
    Rakhi barnwal (Anju)
    22 मार्च 2021
    दुखद
  • author
    Sarika sharma "Anju"
    02 सितम्बर 2020
    दुखद
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    29 मई 2022
    बहुत पीड़ादायक और दर्द से भरी रचना 🙏🙏🙏
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    Rakhi barnwal (Anju)
    22 मार्च 2021
    दुखद
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    Sarika sharma "Anju"
    02 सितम्बर 2020
    दुखद